Shodashi - An Overview
Wiki Article
कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक get more info के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
The Shodashi Mantra is actually a 28 letter Mantra and therefore, it is probably the most basic and easiest Mantras so that you can recite, don't forget and chant.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
Should you be chanting the Mantra for a selected intention, compose down the intention and meditate on it 5 minutes prior to commencing Together with the Mantra chanting and 5 minutes once the Mantra chanting.
Shodashi’s influence encourages instinct, helping devotees entry their interior wisdom and acquire rely on in their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive qualities, guiding persons toward decisions aligned with their highest great.
देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥